
वर्धा: दयाल नगर में गंदगी का साम्राज्य, नगर निगम और जनप्रतिनिधि मौन
वर्धा: दयाल नगर में गंदगी का साम्राज्य, नगर निगम और जनप्रतिनिधि मौन
वर्धा (सावंगी प्रति)
वर्धा शहर का दयाल नगर इन दिनों गंदगी और बदबू का गढ़ बन गया है। यहां की गलियों में कचरे के ढेर, बजबजाती नालियां और मच्छरों की फौज – यह सब साफ़ तौर पर बताता है कि सफाई व्यवस्था नाम की चीज़ अब सिर्फ़ नगर निगम के दफ्तरों के कागज़ों में ही रह गई है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह गंदगी राजु समोसे वाले के घर के पास और नगर सेवक श्री सुरेश आहूजा के घर से महज़ 100 मीटर की दूरी पर है। अगर जनप्रतिनिधियों के दरवाजे के पास यह हाल है, तो सोचिए बाकी दयाल नगर और वर्धा के कोने-कोने में क्या दुर्गंध फैली होगी।
नगर निगम के सफाई कर्मचारी और अधिकारी इस इलाके में जैसे गायब हो गए हैं। कचरा उठाने वाली गाड़ियां कई-कई दिनों तक नहीं आतीं। नतीजा – सड़कों के किनारे सड़ता कचरा, फैली हुई बदबू और बीमारियों का खतरा। आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन महीनों में इस इलाके में डेंगू और मलेरिया के मामलों में लगभग 27% की बढ़ोतरी हुई है।
स्थानीय नागरिकों ने कई बार शिकायतें दर्ज कराईं, सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियो पोस्ट किए, यहां तक कि वार्ड कार्यालय में लिखित आवेदन भी दिए, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ़ आश्वासन ही मिला। यह हाल तब है जब नगर निगम का सालाना सफाई बजट करोड़ों में है। सवाल उठता है – आखिर यह पैसा जा कहां रहा है?
राजनीतिक गलियारों में भी यह मुद्दा चर्चा में है, लेकिन जनप्रतिनिधि चुनाव के समय जो वादे करते हैं, उन्हें पूरा करने के बजाय मौन साधे बैठे हैं। नागरिकों का कहना है कि गंदगी और लापरवाही की यह स्थिति जारी रही तो दयाल नगर एक ‘बीमारी नगर’ में बदल जाएगा।
अब देखना यह है कि नगर निगम प्रशासन और चुने हुए जनप्रतिनिधि इस शर्मनाक हालात पर कब जागते हैं, या फिर जनता को एक और चुनाव का इंतज़ार करना पड़ेगा, जब फिर से सफाई और विकास के वादों की पोटली खोली जाएगी।